Ad

chausa aam

चौसा आम की विशेषताएं

चौसा आम की विशेषताएं

आम की विभिन्न विभिन्न प्रकार की किस्में है और उन किस्मों में से जो लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं वह चौसा आम की किस्म है। यदि आपने चौसा आम खाया होगा, तो आपको भी इस बात का अंदाजा होगा। कि चौसा आम कितना स्वादिष्ट और मीठा होता है। चौसा आम की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे। 

चौसा आम :

चौसा आम बाजार और मार्केट में जुलाई के महीने में आता है चौसा आम का इंतजार लोग बहुत ही बेसब्री से करते हैं। क्योंकि इस आम के गूदे और रेशों मे इतनी मिठास होती है कि खाने के बाद मन मोह हो जाता है। चौसा आम दिखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है और इसमें भीनी भीनी खुशबू आती है। सभी आमों की अहमियत कम हो जाने के बाद चौसा आम की अहमियत खास हो जाती है। चौसा आम के संदर्भ में लोगों का यह कहना है। कि करीबन सन 1539 में बिहार क्षेत्र चौसा में शेरशाह सूरी द्वारा हुमायूं से युद्ध के दौरान शेरशाह सूरी ने जब युद्ध जीत लिया था। युद्ध जीतने के बाद इसे चौसाआम के नाम से उपाधि प्रदान की गई थी। जानकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में चौसाआम की उत्पत्ति हुई थी। कुछ इस प्रकार इस आम का नाम चौसा आम पड़ा है।

ये भी पढ़ें: हापुस आम की पूरी जानकारी (अलफांसो)

चौसा आम का वर्तमान स्थान :

इस चौसा आम का वर्तमान स्थान पाकिस्तान को कहा जाता है। इसकी मूल पैदावार करने वाला क्षेत्र पाकिस्तान है। पाकिस्तान के करीब मीरपुरखास ,सिंधु तथा मुल्तान और पश्चिमी बंगाल ,साहीवाल आदि, जहां पर इस चौसा आम की पैदावार होती थी यह सभी क्षेत्र चौसा आम का वर्तमान स्थान है। चौसा आम की इस किस्म को भारत तथा उपमहाद्वीप में सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाने का श्रेय शेरशाह सूरी को ही जाता है। जिन्होंने पूरे भारतीय महाद्वीप में चौसा आम को श्रेष्ठ बना दिया। या कुछ आवश्यक बातें थी जो चौसा आम के वर्तमान स्थान से जुड़ी हुई थी। 

चौसा आम को जीआई टैग दिलाने का प्रयास :

चौसा आम की बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसे जीआई टैग दिलाने का प्रयास करना शुरू कर दिया है। क्योंकि उत्तर प्रदेश के मलिहाबादी दशहरी आम को जीआई टैग दिलवाने के बाद, अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय चौसा आम की ओर बढ़ रहा है। जिससे कि जीआई टैग द्वारा इसकी अच्छी कीमत विदेशों से मिल सके। इन जीआई टैग द्वारा चौसा आम और भी खास हो जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में काम करने वाले कर्मचारियों ने आईसीएआर के अंतर्गत, यूपी के मंडी परिषद से आग्रह करते हुए। चौसा आम की किस्म को जीआई टैग मान्यता प्राप्त करने की अनुमति मांगी है।

ये भी पढ़ें: दशहरी आम की विशेषताएं

शेरशाह सूरी और चौसा आम के संबंध के विषय में जाने :

कहा जाता है कि मुगल सम्राट शेरशाह सूरी को चौसा आम की यह किस्म बहुत ही पसंद थी। आम की इस किस्म को चौसा नाम हुमायूं को हराने के बाद दिया गया था। जहां पर हुमायूं को हराया गया था। उस जगह के नाम पर आम की इस किस्म का नाम चौसा आम रखा गया था। शेरशाह सूरी द्वारा यह किस्म और यह नाम आज भी बहुत मशहूर हैं। दुनिया भर में लगभग आम की डेढ़ हजार किस्में मौजूद है और उन किस्मों में से एक किस्म चौसा आम की है। मुगलों के समय चौसा आम बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय था। हुमायूं को हराने के बाद शेरशाह सूरी बहुत ही ज्यादा खुश थे और इस खुशी के चलते उन्होंने आम कि इस किस्म को चौसाआम के नाम की उपाधि प्रदान की कुछ इस प्रकार चौसा आम और शेरशाह सूरी के संबंध थे।

चौसा आम के फायदे :

  • चौसा आम खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और गर्मियों में लू लगने से बचाव होता है। चौसा आम खाने से ताजगी बनी रहती है और गर्मी कम लगती है।
  • चौसा आम में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीऑक्सीडेंट जैसे आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं।
  • चौसा आम खाने से इम्यूनिटी सिस्टम अच्छा रहता और पाचन क्रिया संतुलित बनी रहती है
  • ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है तथा आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
  • किसानों को चौसा आम की फसल से बहुत फायदा होता हैं क्योंकि इसमें कम लागत में फसल तैयार हो जाती है और बेहद मुनाफा होता है। मार्केट, दुकानों में चौसा आम बहुत ऊंचे दाम पर बेचे जाते हैं।

चौसा आम का बीज उपचार :

चौसा आम का बीज रोपण करने से थोड़ी देर पहले आपको चौसा आम की फसल के बचाव के लिए डाइमेथोएट में कुछ देर पत्थरों को डूबा कर रखना चाहिए। इस प्रक्रिया द्वारा चौसा आम की फसल सुरक्षित रहती है। किसी भी तरह के फंगल से फसल को बचाने के लिए कैप्टन कवकनाशी के साथ बीजों को मिलाकर रखना चाहिए। 

चौसा आम के लिए उपयुक्त जलवायु :

चौसा आम की अच्छी फसल के लिए सबसे अनुकूल जलवायु उष्णकटिबंधीय जलवायु होती है। ज्यादा ठंड इस पौधे के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं। समतल जलवायु में पौधे भारी मात्रा में उत्पादन होते हैं। चौसा आम की किस्में वार्षिक और शुष्क मौसम में बहुत ही अच्छी तरह से उगती हैं।

ये भी पढ़ें: आम के फूल व फलन को मार्च में गिरने से ऐसे रोकें : आम के पेड़ के रोगों के उपचार

चौसा आम के लिए उपयुक्त सिंचाई :

मौसम के आधार पर आपको सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। मिट्टी में नमी बनाए रखिए जलवायु और सिंचाई का स्त्रोत समान होना चाहिए। नए पौधों को हल्की सिंचाई देते रहें। चौसा आम की फसल के लिए सबसे सर्वोत्तम सिंचाई हल्की सिंचाई होती है। जब बरसात का मौसम आ जाए और खूब तेज बारिश होने लगे, तो आपको बारिश के आधार पर ही चौसा आम की फसलों की सिंचाई करना है। भूमि के चारों तरफ भली प्रकार से मेड बना दें। जल निकास का मार्ग बनाए, ताकि किसी तरह की सड़क गलन की समस्या न हो। चौसा आम की फसल के लिए तापमान लगभग 80 सेल्सियस से लेकर 85 सेल्सियस तक का सबसे उचित होता है। 

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं , कि आपको हमारा यह चौसा आम की विशेषताएं का आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि आप हमारी दी हुई सभी महत्वपूर्ण जानकारियों से संतुष्ट है। तो हमारी इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ और अन्य सोशल मीडिया पर शेयर करते रहें। धन्यवाद।

अब आम खाने के लिए गर्मियों का इंतजार नहीं, पूरे साल मिलेगी जबरदस्त वैरायटी

अब आम खाने के लिए गर्मियों का इंतजार नहीं, पूरे साल मिलेगी जबरदस्त वैरायटी

आम का स्वाद और आम के लिए पूरे सीजन का इंतजार करना, सिर्फ एक आम प्रेमी ही समझ सकता है. वैसे आम की खेती से सिर्फ एक बार ही फल मिलता है. लेकिन उन आम प्रेमियों का क्या, जो पूरे साल आम की डिमांड करते रहते हैं. जिसे देखते हुए आम को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. लेकिन यहां बात किसानों की करें तो उन्हें तो इसकी खेती से साल भर में सिर्फ एक बार ही कमाई होती है. लेकिन किसानों की इस समस्या का भी हल निकल चुका है. जहां देश में उपस्थित राजस्थान और कोटा के किसानों ने एक बड़ी उपलब्धी हासिल कर ली है. जानकारी के मुताबिक कोटा और राजस्थान के किसानों ने आम की एक खास वैरायटी तैयार की है. जिसके चलते अब बिना सीजन के भी आम का बंपर उत्पादन किया जा सकेगा. इस आम की वैरायटी बारोमासी यानि की सदाबहार बताई जा रही है. आम की इस वैरायटी को साइंटिस्ट श्रीकृष्ण सुमन ने तैयार किया है. साइंटिस्ट की मानें तो इस वैरायटी के आम के पेड़ों से साल भर में कम से कम तीन बार उत्पादन हो सकेगा. इसका मतलब साफ है कि, अब आम की खेती से एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार मुनाफा कमाया जा सकेगा.

खास वैरायटी के आम की खास बातें

इस सदाबहार आम की प्रजाति एक तरह की बौनी प्रजातियों में से एक है. इसका मतलब इस तरह के पेड़ों की लंबाई ज्यादा ऊंची नहीं होती. इसे कीचन गार्डन में भी लगाया जा सकता है. लंगड़े आम की तरह दिखने वाले सदाबहार आम का रंग भी नारंगी होता है. इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में है. अगर कोई किसान अपनी एक हेक्टेयर की जमीन पर इस वैरायटी के आम के पेड़ों की खेती करता है तो इसे लगभग पांच से सात टन फलों की पैदावारी मिल सकती है. ये भी देखें: आम की खेती: आमदनी अच्छी खर्चा कम

इतना खास क्यों सदाबहार आम?

हाल ही में कोटा में कृषि एंव किसान कल्याण विभाग ने दो दिवसीय कृषि महोत्सव प्रशिक्षण और प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस दौरान साइंटिस श्रीकृष्ण सुमन ने भी सदाबहार आम के पेड़ को प्रदर्शनी में दर्शाया. उन्होंने बताया कि, यह पौधा अन्य आम के पौधों की किस्मों के मुकाबले दोगुनी तेजी से बढ़ता है और दो साल के अंदर ही फल देने लगता है. सदाबहार आम के लिए सिर्फ गोबर की खाद ही काफी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि, ऑफसीजन में इस किस्म के पेड़ में फल लदे होते हैं. जिसके चलते किसान साल में तीन बार मोटी कमाई कर सकते हैं.